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क्रिया विशेषण की परिभाषा और प्रकार -Online Padhai

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क्रियाविशेषण

क्रियाविशेषण सार्थक शब्दों के आठ भेदों में एक भेद है।
व्याकरण में क्रियाविशेषण एक अविकारी शब्द है।
जिन अविकारी शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है, वे क्रियाविशेषण कहलाते हैं।
क्रियाविशेषण के अर्थ के अनुसार पाँच भेद होते हैं- स्थानवाचक, कालवाचक, परिमाणवाचक, दिशावाचक और रीतिवाचक।
स्थानवाचक
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के व्यापार-स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
कालवाचक
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के व्यापार का समय बतलाते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- आज, कल, परसों, पहले, पीछे, अभी, कभी, सदा, अब तक, अभी-अभी, लगातार, बार-बार, प्रतिदिन
परिमाणवाचक
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया के परिमाण अथवा निश्चित संख्या का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- बहुत, अधिक, पूर्णतया, सर्वथा, कुछ, थोड़ा, काफ़ी, केवल, यथेष्ट, इतना, उतना, कितना, थोड़ा-थोड़ा, तिल-तिल, एक-एक करके आदि।
दिशावाचक
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया की दिशा का बोध कराते हैं, उन्हें दिशावाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- दायें-बायें, इधर-उधर, किधर, एक ओर, चारों तरफ़ आदि।
रीतिवाचक
जो अविकारी शब्द किसी क्रिया की रीति का बोध कराते हैं, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे- सचमुच, ठीक, अवश्य, कदाचित्, यथासम्भव, ऐसे, वैसे, सहसा, तेज़, ठीक, सच, अत:, इसलिए, क्योंकि, नहीं, मत, कदापि, तो, हो, मात्र, भर आदि।



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