Avyay Kya Hai | अव्यय (अविकारी) शब्द क्या है ?
ऐसे शब्द जिन पर लिंग, वचन व कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता एवं लीग वचन व कारक बदलने पर भी ये ज्यों-के-त्यों बने रहते है ऐसे शब्दों को अवयव या अविकारी शब्द कहते है।
सामन्यात: अवयव के चार भेद होते है।
(1) क्रियाविशेषण
(2) समुच्चयबोधक
(3) संबंधबोधक
(4) विस्मयादिबोधक
1. क्रियाविशेषण
जो शब्द क्रिया के अर्थकी विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें ‘क्रियाविशेषण’ कहते है। क्रिया विशेषण को अविकारी विशेषण भी कहते है।
उदाहरण:-
जैसे– आज, कल, यहाँ, वहाँ आदि।
क्रिया विशेषण के चार भेद होते है-
(i) कालवाचक क्रियाविशेषण
(ii) स्थानवाचक क्रियाविशेषण
(iii) परिणामवाचक क्रियाविशेषण
(iv) रीतिवाचक क्रियाविशेषण
I. कालवाचक क्रियाविशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के होने का समय ज्ञात होता है, उन्हें कालवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे –आज, कल, जब, तब, प्रातः, सायं, रात भर, दिन भर आदि।
कालवाचक क्रियाविशेषण के तीन भेद माने जाते है।
(i) समयवाचक- आज, कल, अभी, परसों, तुरंत आदि।
(ii) अवधिवाचक- रात-भर, दिनभर, आजकल, रोज, अभी-अभी आदि।
(iii) बारम्बारता वाचक- कई बार, प्रतिदिन, हरबार
II. स्थानवाचक क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के होने के स्थान का पता चलता है, उसे स्थानवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे- यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, सामने, नीचे, ऊपर, आगे, भीतर, बाहर आदि।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण के दो भेद होते है।
(i) स्थितिवाचक- वहाँ, यहाँ, बाहर आदि।
(ii) दिशावाचक- दाएँ, बाएँ, इधर, उधर आदि।
III. परिणामवाचक
जिन शब्दों से क्रिया अथवा क्रिया विशेषण का परिमाण ज्ञात होता हो, उन्हें परिमाणवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे – अधिक, थोड़ा, बहुत, कम, तनिक, खुब, अल्प, केवल, आदि।
IV. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
वाक्य में वह शब्द जिनसे क्रिया के होने की रीति या विधि का ज्ञान हो, उन्हें रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहा जाता है।
उदाहरण:-
जैसे – चानक, सहसा, एकाएक, झटपट, आप ही, ध्यानपूर्वक, धड़ाधड़, यथा, तथा, ठीक, सचमुच, अवश्य, वास्तव में, निस्संदेह, बेशक, शायद, संभव हैं।
क्रियाविशेषणों की रचना
रचना के आधार पर क्रिया विशेषण के दो भेद है।
1. मूलक्रियाविशेषण – जो क्रिया विशेषण किसी दूसरे शब्द में प्रत्यय आदि लगाए बिना ही बनते है, उन्हें मूल क्रिया विशेषण कहते है।
जैसे – पास, दूर, ऊपर, आज, सदा, अचानक आदि।
2 .यौगिक क्रिया विशेषण – जो क्रिया विशेषण दूसरे शब्दों में प्रत्यय आदि लगाने से बनते है, उन्हें यौगिक क्रिया विशेषण कहते है।
(2) समुच्चयबोधक
दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
जैसे- और, तथा, एवं, अथवा, किन्तु, परंतु, लेकिन, कि, मानों, आदि, और, अथवा, यानि, तथापि, मगर, बल्कि मगर, वरन, बल्कि, नहीं, तो, इसलिए, यदि, सो, जिसका, इस प्रकार, क्योकि, या, अगर आदि।
उदाहरण-
सीता और गीता बाजार जाती है।
राम पढ़ता है और श्याम खेलता है।
3. संबंधबोधक अव्यय
जो अविकारी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं।
उदाहरण:-
जैसे- साथ, बाद, पहले, ऊपर, संग, आश्रय, बिना, भरोसे आदि ।
उदाहरण-
विद्या के बिना मनुष्य पशु है।
जल के बिना जीवन अधूरा है।
4. विस्मयादिबोधक
जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष ,शोक ,घृणा ,प्रशंसा , विस्मय आदि भावों को व्यक्त करते हैं , उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
उदाहरण:-
जैसे - अरे ,ओह ,हाय ,ओफ ,हे आदि । (इन शब्दों के साथ संबोधन का चिन्ह ( ! ) भी लगाया जाता है)
उदाहरण - हे भगवान ! यह क्या हो गया।
वाह ! कितना सुन्दर दृश्य है।